कुपोषण से मुक्ति और मातृ मृत्युदर में कमी लाने के लिए दो साल पहले तत्कालीन जिला कलक्टर भगवती प्रसाद कलाल ने सहजन के पौधे जिले के 1350 आंगनबाड़ी केन्द्रों में लगवा कर किचन गार्डन तैयार करवाए थे। यह बहुउपयोगी पौधा है। इसकी पत्ती से लेकर फूल और फली औषधीय गुणों वाली है। इनके पत्ते, फूल-फली की सब्जी, आचार और पाउडर बनाकर उपयोग किया जाता है। इसका प्रचार-प्रसार हुआ, तो गांव-गांव घरों में क्यारियों में इसके पौधे लगने लगे हैं। मॉडल चरागाह में इसके पौधे लगाने के बाद अब इसकी फलियां-पत्तियों और फूलों को प्रॉसेस कर उनका पाउडर बनाकर व्यावसायिक स्तर पर बेचने का प्रोजेक्ट बीकानेर में शुरू कर दिया गया है।
इसके उपयोग से प्रसव के दौरान मातृ मृत्युदर 100 से घट कर 23 पर आ गई। साल 2022 के औसतन 7 एमजी हिमोग्लोबिन के मुकाबले जनवरी 2024 में यह बढ़ कर 11 एमजी/डीएल से अधिक हो गया। कुपोषण के मामलों में कमी आई है। राजीविका से जुड़ी महिलाओं के माध्यम से कोलायत, श्रीडूंगरगढ़ और बीकानेर में नौ मॉडल चरागाहों में पौधों के 17 प्लांट लगाए गए हैं। इनसे फूल, पत्तियां और फली तीनों को तोड़ने का कार्य महिलाएं ही करती हैं। इससे जुड़ने के बाद अब दस से 15 हजार रुपए की मासिक आमदनी हो रही है।
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Credit : Rajasthan Patrika