बस्सीPublished: Oct 20, 2023 03:59:26 pm
Success Story: प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती। उन्हें प्रोत्साहन करने की जरूरत होती है। ऐसी ही कहानी कस्बे के हंसराज खांडेकर की है जिन्होंने जीवन के 30 साल विदेश में मजदूरी करने में बिताए, लेकिन बच्चों को शिक्षा दिलवाई।
Success Story : किशनगढ़ रेनवाल। प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती। उन्हें प्रोत्साहन करने की जरूरत होती है। ऐसी ही कहानी कस्बे के हंसराज खांडेकर की है जिन्होंने जीवन के 30 साल विदेश में मजदूरी करने में बिताए, लेकिन बच्चों को शिक्षा दिलवाई। इसकी बदौलत इसी सत्र में उनके बड़े बेटे राजेश कुमार, उनकी पुत्रवधू अनुराधा बोकोलिया, छोटी बेटी ममता खांडेकर और छोटा बेटा विकास खांडेकर का शिक्षक पद पर चयन हुआ है। इन बच्चों के एक साथ चयन से क्षेत्र का नाम रोशन हुआ है। पूर्व में उनकी बड़ी बेटी संपत्ति खांडेकर भी अध्यापिका पद पर चयन हो चुका जो वर्तमान में जैसलमेर में कार्यरत है।
Success Story: Father worked as a laborer and taught, four children were selected as teachers | संघर्ष से मुकाम तकः पिता ने मजदूरी कर पढ़ाया, चारों बच्चों का शिक्षक पद पर चयन – New Update
Credit : Rajasthan Patrika