भिवाड़ीPublished: Oct 19, 2023 08:10:27 pm
11 केवी के 77 फीडर को संभाल रहे 45 कर्मचारी, एक साथ दो फॉल्ट, तो दूसरी जगह नहीं होता रखरखाव
25 सौ करोड़ का राजस्व, जरूरी संसाधानों का भी अभाव
भिवाड़ी. विद्युत निगम का भिवाड़ी उपखंड साल में राज्य सरकार को 2500 करोड़ का राजस्व देता है। यहां बड़ी इंडस्ट्री होने की वजह से महीने का बिल कई जिलों से अधिक बनता है। औद्योगिक और व्यावसायिक उपभोक्ता अधिक होने से यहां छीजत भी मानकों से कम है। भिवाड़ी बिजली बिल देने में अव्वल है, यहां के उपभोक्ता भी निगम के लिए उपयुक्त हैं, इसके बावजूद भिवाड़ी के उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण, निर्बाध बिजली देने के लिए जरूरी संसाधनों का अभाव है।
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कर्मचारियों की कमी
अक्टूबर महीने में निगम ने 209 करोड़ के बिल वितरित किए हैं। अविभाजित अलवर जिले में राजस्व के लिए भिवाड़ी का योगदान 40 प्रतिशत होता था। लेकिन यहां कर्मचारी और संसाधन दोनों की ही कमी चल रही है। यहां जेईएन के छह पद स्वीकृत लेकिन वर्तमान में सिर्फ दो जेईएन ही कार्यरत हैं। छह जेईएन का काम दो कर रहे हैं। इससे बिजली की आपूर्ति और अन्य कामों में देरी होती है। अगर कहीं दो क्षेत्र में एक साथ फॉल्ट आ जाए तो दोनों जगह एक साथ देखभाल करना संभव नहीं होता। इसके साथ ही नए कनेक्शन के लिए उपभोक्ताओं की साइट मौका देखने में भी विलंब होता है। एईएन-जेईएन सतर्कता का पद भी कई महीने से रिक्त चल रहा है। जिससे बिजली छीजत को रोकने संबंधी प्रयास भी बंद हैं। उपखंड में सबसे सबसे अधिक जरूरत तो तकनीकि स्टाफ की होती है। इनके कंधों पर ही बिजली वितरण व्यवस्था का भार होता है। निगम के 11 केवी के 77 फीडर हैं। जिन पर प्रत्येक पर एक कर्मचारी होना चाहिए। लेकिन कुल कर्मचारियों की संख्या 45 ही हैं। इस तरह 32 फीडर पर एक कर्मचारी ही दोहरी जिम्मेदारी संभाल रहा है। एक साथ दोनों जगह फीडर फॉल्ट होने पर एक कर्मचारी एक ही जगह ठीक कर सकता है, दूसरी जगह के लिए लंबा इंतजार हो जाता है। तब तक बिजली बंद रहने से उद्यमी और निगम दोनों का नुकसान होता है।
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मशीनों का भी अभाव
भिवाड़ी में 11 और 33 केवी की करीब 50 किमी भूमिगत केबल बिछी हुई है, लेकिन फॉल्ट होने की स्थिति में फॉल्ट लोकेटर मशीन को अलवर से मंगाना पड़ता है। अगस्त में एक फॉल्ट आया और अलवर से मशीन मंगाई, उसी दौरान अलवर की मशीन खराब हो गई। इस तरह उस लाइन को दुरस्त करने में कई दिन का इंतजार करना पड़ा। जयपुर से मशीन मंगाने पर फॉल्ट सही हो सका। इसी तरह 35 हजार उपभोक्ताओं की बिजली संबंधी समस्या को दूर करने के लिए मात्र एक एफआरटी वाहन है। क्षेत्र बड़ा होने से मशीन को एक ही जगह अगर चार शिकायत ठीक करनी हो तो उसे दूसरे क्षेत्र में आने में घंटों लग जाते हैं, तब तक उपभोक्ता परेशान हो जाता है।
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एक एफआरटी मांगी गई है, फॉल्ट लोकेटर को भी स्वीकृत कराने का प्रयास है, तकनीकि कर्मचारियों के रिक्त पदों को भी चुनाव बाद भरने का प्रयास किया जाएगा।
सुधीर पांडेय, अधीक्षण अभियंता, वितरण निगम
Revenue of Rs 2500 crore, lack of necessary resources also | 25 सौ करोड़ का राजस्व, जरूरी संसाधानों का भी अभाव – New Update
Credit : Rajasthan Patrika