इनमें बागीदौरा से लगातार चुनकर आ रहे महेंद्रजीत सिंह मालनवीया, पूर्व केंद्रीय मंत्री लालचंद कटारिया का नाम प्रमुख तौर पर लिया जा रहा है। हालांकि मालवीया ने तो खुलकर अपने बागी तेवर भी दिखा दिए हैं तो वहीं कटारिया ने फिलहाल चुप्पी साध रखी है।
रायशुमारी में मजबूती से आया था नाम
दरअसल पार्टी लालचंद कटारिया को जयपुर ग्रामीण और महेंद्रजीत सिंह मालवीय को डूंगरपुर-बांसवाड़ा से चुनाव मैदान में उतारना चाहती थी। कटारिया पूर्व में जयपुर से सांसद रहते हुए यूपीए-2 में मंत्री रहे चुके हैं वहीं मालवीया भी डूंगरपुर-बांसवाड़ा से सांसद रह चुके हैं। लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी चयन के लिए की जा रही रायशुमारी के दौरान भी दोनों नेताओं का नाम जिताऊ चेहरे के तौर पर मजबूती से सामने आया था। अब इनके भाजपा में जाने की चल अटकलों के बाद पार्टी को यहां फिर से नए सिरे कवायद करनी पड़ेगी।
शीर्ष नेताओं ने भी साधा संपर्क
सूत्रों की मानें तो बागी तेवर दिखाने के बावजूद दिग्गज आदिवासी नेता मालवीया को मनाने के अंतिम प्रयास किए जा रहे हैं। प्रदेश के कई शीर्ष नेता लगातार उनसे संपर्क करने में जुटे हैं। इसके लिए आदिवासी अंचल के कई नेताओं को जिम्मेदारी भी दी गई है। शुक्रवार को भी पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने डूंगरपुर-बांसवाड़ा के कई नेताओं से मुलाकात की थी।
असंतुष्ट नेताओं को भी मनाने की कवायद
इधर पार्टी थिंक टैंक फिलहाल उन नेताओं की भी टोह ले रहा है जो इन दिनों किसी न किसी कारण से नाराज चल रहे हैं। ऐसे नेताओं से भी संपर्क कर उन्हें मनाने की जिम्मेदारी प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली को दी गई है।
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