बीकानेरPublished: Oct 20, 2023 01:20:13 am
करणी माता मंदिर में आने वाले श्रद्धालु दर्शन के बाद पास ही एक और मंदिर में दर्शनार्थ के लिए जाते हैं, जो नेहडी माता के नाम से प्रसिद्ध है
Navratri: जहां रोपी थी खेजड़ी की सूखी लकड़ी, वहां बना मंदिर,Navratri: जहां रोपी थी खेजड़ी की सूखी लकड़ी, वहां बना मंदिर
नंदकिशोर शर्मा
देशनोक. करणी माता मंदिर में आने वाले श्रद्धालु दर्शन के बाद पास ही एक और मंदिर में दर्शनार्थ के लिए जाते हैं, जो नेहडी माता के नाम से प्रसिद्ध है। दूर-दूर से आने वाले सभी भक्त इस मंदिर में भी दर्शन करने के लिए जाते हैं। कहते हैं कि करणी माता ने इसी स्थान पर दही बिलोया था। नेहड़ी पर दही के छींटे लगने के निशान आज भी भक्तों ने देखे हैं। माताजी की कृपा से वह नेहड़ी एक खेजड़ी का वृक्ष बन गया, जो 600 वर्षों के बाद भी आज भी इस मंदिर में स्थित है। नवरात्र के दिनों में यहां भी दर्शन के लिए आने वाले लोगों की भीड़ रहती है।
सुवाप से शादी कर जब करणीजी साठिका पधारे, तो उनके साथ पर्याप्त गोधन था। उसी गोधन के पीने के पानी की कमी के कारण भगवती अपने कुटुंब सहित ऐसे स्थान की ओर आईं। जहां पर्याप्त मात्रा में पानी हो। इसी निमित्त जांगल प्रदेश में आकर रहने लगी। यहां भी उनकी गायों के लिए झगड़ा होने लगा। तब उन्होंने संकल्प लेकर प्रस्थान किया कि उस स्थान पर रुकेंगे, जहां पहुंचने पर सूर्यास्त होगा और वह स्थान वर्तमान नेहड़ीजी वाला है। जहां सूर्यास्त होने के कारण माताजी ने अपने सेवकों को रुकने का आदेश दिया।
Karni Mata Temple Deshnoke | Navratri: जहां रोपी थी खेजड़ी की सूखी लकड़ी, वहां बना मंदिर – New Update
Credit : Rajasthan Patrika