नागौरPublished: Dec 19, 2023 08:46:14 pm
हाल-ए-सरकारी स्कूल
-नामांकन बढ़े तो कैसे , पिछले साल के मुकाबले करीब 23 हजार बच्चे कम, तमाम प्रयास फेल, प्रवेशोत्सव रहा फ्लॉप शो, तीन दर्जन से अधिक स्कूल ऐसे जहां विज्ञान/कॉमर्स/कला संकाय तो तीनों पर व्याख्याता गिने-चुने
पड़ताल
सरकारी विद्यालयों में नामांकन बढ़े तो आखिर कैसे? हालत यह है कि नागौर (कुचामन-डीडवाना) जिलेभर के तीन दर्जन से अधिक विद्यालयों में तो विज्ञान/वाणिज्य/कला संकाय के व्याख्याता ही नहीं हैं। एक-दो विषय व्याख्याता की कमी हो तो चल भी जाए, ऐसे-ऐसे भी विद्यालय हैं जहां विज्ञान संकाय तो हैं पर इससे जुड़ा एक भी व्याख्याता यहां नियुक्त नहीं है।
नागौर. सरकारी विद्यालयों में नामांकन बढ़े तो आखिर कैसे? हालत यह है कि नागौर (कुचामन-डीडवाना) जिलेभर के तीन दर्जन से अधिक विद्यालयों में तो विज्ञान/वाणिज्य/कला संकाय के व्याख्याता ही नहीं हैं। एक-दो विषय व्याख्याता की कमी हो तो चल भी जाए, ऐसे-ऐसे भी विद्यालय हैं जहां विज्ञान संकाय तो हैं पर इससे जुड़ा एक भी व्याख्याता यहां नियुक्त नहीं है। ऐसे में कोई पेरेंट्स अपने बच्चों को क्यों सरकारी विद्यालय में दाखिल कराएगा। कई विद्यालय ऐसे हैं जहां संकाय तो तीन पर व्याख्याता इक्का-दुक्का है।सूत्रों के अनुसार सरकारी विद्यालयों के नामांकन बढ़ाने की सरकारी कवायद धरी रह गई। पत्रिका की पड़ताल में जो कुछ सामने आया वो कम गंभीर नहीं है। नागौर शहर के पास स्थित एक गांव के बारहवीं तक के विद्यालय में विज्ञान संकाय तो है, लेकिन पढ़ाने को एक भी व्याख्याता नहीं हैं। ऐसे में इस संकाय का कोई भी विद्यार्थी यहां प्रवेश क्यों लेगा? नतीजन इस स्कूल में ग्यारहवीं-बारहवीं कक्षा में नामांकन इस संकाय में बढ़ता कैसे? ये ही नहीं अकेले नागौर शहर में करीब आधा दर्जन विद्यालय ऐसे हैं जहां व्याख्याता नहीं व कम होने के कारण विद्यार्थी नहीं आ रहे।
Faculty three in government schools have not a single lecturer | सरकारी विद्यालयों में संकाय तीन पर व्याख्याता एक भी नहीं – New Update
Credit : Rajasthan Patrika