अब समय बदल गया है। लोग बेटों की तरह ही बेटियों को मानते हैं। क्योंकि वह जिम्मेदारियां निभा रही हैं। एक ऐसा ही आंकड़ा आया है, जिस पर पूरे देश को फक्र है। राजस्थान में बेटों से ज्यादा बेटियों को गोद लेने के लिए निसंतान दंपतियों ने दिलचस्पी दिखाई। वहीं अलवर से गोद लिए गए बच्चों की किलकारियां देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी गूंज रही है। अलवर के शिशु पालना गृह से आठ सालों में 42 बच्चे गोद दिए जा चुके हैं।
बेटों से ज्यादा बेटियों की चाहत अधिक
पहले दंपती बेटे गोद लेना चाहते थे, जिससे कि बेटा परिवार की जिम्मेदारी उठा सकें, लेकिन अब बेटियां ज्यादा गोद लेना पसंद कर रहे हैं। राजस्थान में 35 शिशु गृह संचालित हैं। पिछले पांच साल में यहां 596 बच्चे गोद दिए गए हैं। इसमें 358 लड़कियां और 238 लडक़े शामिल है। अलवर में पिछले 8 साल में 27 बेटियां और 10 बेटे गोद दिए जा चुके हैं। बच्चे गोद लेने की कतार में अलवर सहित देश विदेश के दंपती कतार में हैं।
बच्चों को बोझ न समझें, सडक़ों पर अनाथ न छोड़ें
बाल अधिकारिता विभाग के उपनिदेशक रविकांत ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से अनाथ मिलने वाले बच्चों के लिए शिशु पालना गृह खोले गए हैं। बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया ऑनलाइन है। निसंतान दंपती को सेंट्रल एडॉप्शन रिर्साेस अथॉरिटी पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाना होता है। अलवर शहर में हसन खां मेवात नगर में शिशु पालना गृह का संचालन किया जा रहा है। जिसमें 0 से 6 साल तक के बच्चों को रखा जाता है ताकि लोग इन्हें गलत नजरिए से न देखें। सरकार इनको पालती है।
तीन श्रेणी के बच्चे लिए जाते हैं गोद
1. ऐसे अनाथ बच्चे जिनके माता पिता नहीं हैं।
2. अनचाहे बच्चे, जिन्हें झांडियों आदि में फेंक दिया जाता है।
3. जो माता-पिता बच्चों को रखना नहीं चाहते, वो खुद यहां छोड़ देते हैं।
अलवर में ये है आंकड़ा
वर्ष 2016 में 9, 2017 में 7, 2018 में 5, 2019 में 3, 2020 में 5, 2021 में 3, 2022 में 3 तथा 2023 में 5 व 2024 में 2 बच्चे गोद लिए गए।
शिशु पालना गृह के बच्चों की देश ही नहीं, विदेशी आंगन में भी गूंज रही किलकारी – New Update
Credit : Rajasthan Patrika