सूत्रों के अनुसार स्थानीय सीएचसी में प्रतिमाह सौ से ज्यादा गर्भवतियों की सामान्य डिलेवरी होती हैं, लेकिन संसाधनों व डाॅक्टरों के अभाव में सिजेरियन डिलीवरी के लिए बाहर ही रैफर करना पड़ रहा है। सिजेरियन डिलिवरी व दुर्घटनाग्रस्त लोगों के लिए कई बार रक्त की आवश्यकता पड़ती है, लेकिन यहां रक्त स्टोरेज यूनिट की व्यवस्था भी नहीं है।
कहने को तो कठूमर सीएचसी को आदर्श सीएचसी कहा जाता है, लेकिन सुविधाएं उस हिसाब से पूरी नहीं है, जबकि यहां प्रतिदिन तीन दर्जन गांवों के छह से सात सौ मरीज की ओपीडी होती है। संसाधनों व विशेषज्ञ डाक्टरों की कमी से आईपीड़ी बहुत कम रहती है। कठूमर अस्पताल को बने करीब पचास साल हो गए। पीएचसी से सीएचसी में क्रमोन्नत भी हो गया। तीस बैंड से पचास बैंड में भी तब्दील हो गया, लेकिन सुविधाएं अपेक्षित रूप से नहीं बढ़ी। कठूमर सीएचसी पर डाॅक्टरों के बारह पद स्वीकृत हैं, जिनमें से शिशु रोग विशेषज्ञ, सर्जरी, महिला चिकित्सक सहित सात पद रिक्त चले आ रहे हैं। सर्जन डाॅक्टर एवं संसाधनों के अभाव में दुर्घटनाग्रस्त लोगों को ज्यादातर मौकों पर रैफर करना पड़ता है और इनमें से कई लोग रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं।
उपकरण पूरे नहीं
सीएचसी में दंत चिकित्सक हैं, लेकिन आरसीटी के लिए पूरे उपकरण उपलब्ध नहीं है, जबकि छोटी-मोटी सर्जरी के लिए स्वयं डाॅक्टर जवाहरलाल सैनी ने अपने खर्चे से यहां दान में उपकरण उपलब्ध कराए हैं। एक दंत चिकित्सक तीन साल से अनुपस्थित हैं, स्थानीय अस्पताल प्रशासन की ओर से नौकरी पर आने के लिए चार बार स्मरण पत्र महिला डाॅक्टर को भेजा जा चुका है, लेकिन न तो इनका जवाब आया और न ही नौकरी पर लौटीं। यह महिला डाॅक्टर मूल रूप से हरियाणा की रहने वाली हैं।
ऑक्सीजन प्लांट चालू नहीं
सीएचसी पर ऑक्सीजन प्लांट तो तैयार है, लेकिन हैंडओवर या टेकओवर बिना यह अभी तक चालू नहीं हो पाया है। पूरी विधानसभा क्षेत्र में करीब एक सौ पचास गांवों के बीच बड़ा सीएचसी कठूमर में है, लेकिन बुखार, खांसी, जुकाम जैसी बीमारियों का ही उपचार हो पाता है। गंभीर बीमारियों के उपचार के लिए जयपुर अलवर, भरतपुर जाना पड़ रहा है।
आयुष्मान योजना बंद
सबसे अहम बात यह है कि अस्पताल में मुख्यमंत्री आरोग्य आयुष्मान योजना अक्टूबर 2023 से बंद है। सम्बंधित इंश्योरेन्स एजेन्सी की ओर से अगस्त माह में ऑडिट के दौरान आईपीडी में मरीज नहीं मिलने से अस्पताल की आईडी बंद कर दी गई, जिसका खमियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।
…………… यह बोले लोग
महिला डाॅक्टर होना बहुत जरूरी
कठूमर में वर्षों से महिला चिकित्सक का पद रिक्त है। गंभीर प्रसव सहित अनेक गंभीर बीमारियों के मरीज आते हैं। जिनके उपचार के लिए अलवर, भरतपुर या जयपुर जाना पड़ता है। जिसका खर्चा वहन करना हर किसी के बस में नहीं है। इसलिए सीएचसी में महिला डाॅक्टर होना बहुत जरूरी है।
वर्षा जैन, महामंत्री महिला वैश्य समाज, कठूमर।
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करते हैं रैफर
– क्षेत्र में आए दिन दुर्घटना होती रहती है और यहां उपचार की व्यवस्था नहीं होने से मरीजों को बाहर रैफर करना पड़ता है। गंभीर घायल की रास्ते में ही मौत हो जाती है। ऐसे में यहां सर्जन डाॅक्टर, संसाधन आदि की बहुत जरूरत है।
रचना कैरव निवासी बसेठ।
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रक्त स्टोरेज की व्यवस्था जरूरी
कई बार दुर्घटना में घायल की अत्यधिक रक्तस्राव की स्थिति में मौत हो जाती है। समय पर रक्त नहीं मिल पाता है। इसके अलावा अन्य बीमारियों में भी रक्त की आवश्यकता पड़ती है। रक्त के लिए भी बाहर जाना पड़ता है। इसलिए यहां रक्त स्टोरेज की व्यवस्था अत्यंत जरूरी है।
सुमित सोनी निवासी कठूमर।
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संसाधनों की बहुत आवश्यकता
पूरी विधानसभा में खेरली के बाद सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल कठूमर सीएचसी है। क्षेत्र में उपचार की उत्तम व्यवस्था नहीं होने पर लोग इसी पर निर्भर है। ऐसे में यहां सभी विशेषज्ञ डाॅक्टरों के साथ संसाधनों की बहुत आवश्यकता है ।
मनोज चौधरी सामाजिक कार्यकर्ता, कठूमर।
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मुझे कार्यभार संभाले अभी पच्चीस दिन हुए है अस्पताल की व्यवस्था सुधारने के पूरे प्रयास किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री आरोग्य आयुष्मान योजना शुरू कराने के लिए राज हैल्थ एजेंसी के कार्यकारी अधिकारी को पत्र लिख दिया। अस्पताल में डॉक्टरों व अन्य संसाधनों के के लिए विधायक को अवगत कराया है।
डाॅ. मुकेश यादव, प्रभारी सीएचसी, कठूमर।
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आएगा अच्छा सुधार कठूमर सीएचसी पर डाॅक्टरों व अन्य संसाधनों के लिए प्रयासरत हूं। सरकार के पास हमारी मांग पहुंचा दी गई है। लोकसभा चुनाव के बाद अस्पताल की व्यवस्थाओं में अच्छा सुधार आएगा।
रमेश खींची विधायक कठूमर।
मुख्यमंत्री आरोग्य आयुष्मान योजना छह माह से बंद, महिला रोग विशेषज्ञ का पद वर्षो से रिक्त…पढ़ें यह न्यूज | Chief Minister Health Ayushman Scheme closed for six months – New Update
Credit : Rajasthan Patrika